इस शारदीय नवरात्रि में पूजाघर/ घर के मंदिर भूलकर भी नहीं करें ये गलतियां वरना हो सकता हैं तनाव/टेंशन ( अनजाने में घर के मंदिर में की गयी ये गलतियाँ बन सकती है तनाव काकारण)  

  इस शारदीय नवरात्रि में पूजाघर/ घर के मंदिर भूलकर भी नहीं करें ये गलतियां वरना हो सकता हैं तनाव/टेंशन ( अनजाने में घर के मंदिर में की गयी ये गलतियाँ बन सकती है तनाव काकारण)  

  भगवान् की पूजा हर घर में की जाती है, लोग अपने घर में भगवान् को एक खास जगह देते है और उसी जगह पर रोज़ाना उनकी पूजा पाठ की जाती है, एकतरह से माना जाये तो ये स्थान हमारे घर में एक मंदिर के रूप में रहता है.मंदिर चाहेछोटा हो या बड़ा लेकिन उसका वास्तु के अनुसार ही होना शुभ माना जाता है. आज हम आपकोआपके घर के मंदिर से जुड़ी ऐसी ज़रूरी बातो के बारे में बताने जा रहे है जिनका ध्यानरखना बहुत ही जरूरी होता है. अगर आप इन बातो का ध्यान नहीं रखते है तो इससे  भगवानकी कृपा घर-परिवार को नहीं मिल पाती है | घर के मंदिर में भगवान की मूर्तियां रखकरपूजा अर्चना करने की परंपरा सदियों पुरानी है। लेकिन वास्तु शास्‍त्र के अनुसार कुछऐसे देवी-देवताओं की मूर्त‌ियां भी हैं जिन्हें घर के मंद‌िर में नहीं रखना चाहिए।ऐसी मान्यता है कि इनके घर में होने पर सुख समृद्ध‌ि घर से चली जाती है। 
 
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की यदि आपके घर का पूजाघर गलतदिशा में बना हुआ हैं तो पूजा का अभीष्ट फल प्राप्त नहीं होता हैं फिर भी ऐसेपूजाघर में उत्तर अथवा पूर्वोत्तर दिशा में भगवान की मूर्तिया या चित्र आदि रखनेचाहिए । पूजाघर की देहरी को कुछ ऊँचा बनाना चाहिए । पूजाघर में प्रातःकाल सूर्य काप्रकाश आने की व्यवस्था बनानी चाहिए । 
 
पूजाघर में वायु के प्रवाह को संतुलित बनाने के लिए कोई खिड़की अथवा रोशनदानभी होनी चाहिए । पूजाघर के द्वार पर मांगलिक चिन्ह, (स्वास्तीक, ऊँ,) आदि स्थापितकरने चाहिए । ब्रह्मा, विष्णु, महेश या सूर्य की मूर्तियों का मुख पूर्व या पश्चिममें होना चाहिए । गणपति एवं दुर्गा की मूर्तियों का मुख दक्षिण में होना उत्तम होताहैं । काली माॅ की मूर्ति का मुख दक्षिण में होना शुभ माना गया हैं । हनुमान जी कीमूर्ति का मुख दक्षिण पश्चिम में होना शुभ फलदायक हैं । पूजा घर में श्रीयंत्र, गणेश यंत्र या कुबेर यंत्र रखना शुभ हैं ।
 
पूजाघर के समीप शौचालय नहीं होना चाहिए । इससे प्रबल वास्तुदोष उत्पन्न होताहैं । यदि पूजाघर के नजदीक शौचालय हो, तो शौचालय का द्वार इस प्रकार बनाना चाहिए किपूजाकक्ष के द्वार से अथवा पूजाकक्ष में बैठकर वह दिखाई न दे । पूजाघर का दरवाजालम्बे समय तक बंद नहीं रखना चाहिए । यदि पूजाघर में नियमित रूप से पूजा नहीं की जाएतो वहाॅ के निवासियों को दोषकारक परिणाम प्राप्त होते हैं । पूजाघर में गंदगी एवंआसपास के वातावरण में शौरगुल हो तो ऐसा पूजाकक्ष भी दोषयुक्त होता हैं चाहे वहवास्तुसम्मत ही क्यों न बना हो क्योंकि  ऐसे स्थान पर आकाश तत्व एवं वायु तत्वप्रदूषित हो जाते हैं जिसके कारण इस पूजा कक्ष में बैठकर पूजन करने वाले व्यक्तियोंकी एकाग्रता भंग होती हैं तथा पूजा का शुभ फला प्राप्त नहीं होता । पूजा घर गलतदिशा में बना हुआ होने पर भी यदि वहां का वातावरण स्वच्छ एवं शांतिपूर्ण होगा तो उसस्थान का वास्तुदोष प्रभाव स्वयं ही घट जाएगा ।
 
भगवान के दर्शन मात्र से ही कई जन्मों के पापों का प्रभाव नष्ट हो जाता है।इसी वजह से घर में भी देवी-देवताओं की मूर्तियां रखने की परंपरा है। इस कारण घर मेंछोटा मंदिर होता है और उस मंदिर में देवी-देवताओं की प्रतिमाएं रखी जाती हैं। कुछलोग एक ही देवता की कई मूर्तियां भी रखते हैं। हमारे वैदिक शास्त्रों में बताया गयाहै कि घर के मंदिर में किस देवता की कितनी मूर्तियां रखना श्रेष्ठ है।  
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