पर्यावरण संरक्षण के लिये उत्तर पश्चिम रेलवे की प्रतिबद्वता हरित पर्यावरण के साथ विकास के पथ पर अग्रसर

पर्यावरण संरक्षण के लिये उत्तर पश्चिम रेलवे की प्रतिबद्वता हरित पर्यावरण के साथ विकास के पथ पर अग्रसर

हरित पर्यावरण एवं स्वच्छ ऊर्जा को बढावा देते हुए भारतीय रेलवे वैश्विक परिवहन क्षेत्र में अग्रणी बनने की ओर अग्रसर है। पर्यावरण संरक्षण का उत्तरदायित्व आज व्यक्ति विशेष का न होकर सभी का हो गया है ताकि आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ जीवन प्रदान किया जा सके। ऊर्जा संरक्षण के साथ पर्यावरण को सुदृढ़ बनाने के लिये रेलवे भी लगातार सकारात्मक कदम उठा रहा है, जिसमें परम्परागत संसाधनों के स्थान पर पर्यावरण अनूकुल स्त्रोतो का अधिकाधिक उपयोग किया जा रहा हैं।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जन सम्पर्क अधिकारी ले. शशि किरण के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे भी अपने प्रयासों को गति प्रदान कर प्रदुषण रहित पर्यावरण की मुहिम को बढाने के साथ-साथ राजस्व की भी बचत कर रहा है। ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में उत्तर पश्चिम रेलवे ने विगत 14 वर्षों में लगातार 13 राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण एवं 35 राजस्थान ऊर्जा संरक्षण अवार्ड प्राप्त किये है।
उत्तर पश्चिम रेलवे पर विगत समय में सौर ऊर्जा पर काफी कार्य किये गये है। इस रेलवे पर कुल 6872.25 kWp क्षमता के सोलर पैनल स्थापित किये गये है। इनसे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ राजस्व की भी प्रतिवर्ष बचत हो रही है। रेलवे द्वारा यह प्लांट नेट-मिटिंग व्यवस्था के साथ स्थापित किये गये है, इसमे इन प्लांट से उत्पन्न बिजली यदि रेलवे द्वारा उपयोग में नहीं ली जाती है तो वह विद्युत वितरण कम्पनी के नेटवर्क पर दे दी जाती है तथा इसकी राशि रेलवे के बिल में समाहित कर दी जाती है। हरित ऊर्जा की पहल के अन्तर्गत जयपुर और अजमेर स्टेशन पर 500 kWp क्षमता का तथा जोधपुर स्टेशन पर kWp क्षमता का उच्च सोलर पैनल स्थापित कर ऊर्जा प्राप्त की जा रही है। स्ट्रीट लाइट में भी सोलर का उपयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही जैसलमेर में 26 मेगावाट का विण्ड-मिल भी कार्य कर रहा हैं। उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर स्थित कारखाना में डेमू ट्रेन के छत पर पहली बार सौलर पैनल स्थापित कर ट्रेन में बिजली उपकरणों को सौलर पावर से संचालित किया जा रहा है।
बिजली की बचत के लिये इस रेलवे पर ऊर्जा दक्ष उपकरणों का उपयोग किया जा रहा हैं। ऊर्जा दक्ष उपकरणों में रेलवे द्वारा एलईडी आधारित उपकरणों का अधिकाधिक प्रयोग किया जा रहा है। 556 रेलवे स्टेशनों एवं 821 कार्यालय भवनों पर एक लाख से अधिक एलईडी लाईट्स लगाई गयी है। एलईडी आधारित उपकरणों से प्रकाश की क्वालिटी बेहतर प्राप्त होती है साथ ही इनसे बिजली की भी बचत होती है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर 100% एलईडी लाइटो का उपयोग किया जा रहा है। 2019 में ऊर्जा संरक्षण उपायों के लिए स्टेशन श्रेणी में जोधपुर एवं गांधीनगर जयपुर स्टेशन को क्रमश: प्रथम एवं द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया है। विभिन्न ऊर्जा संरक्षण उपायों को अपनाने के लिए उपरे मुख्यालय भवन को कार्यालय भवन श्रेणी में सम्पूर्ण राजस्थान में प्रथम पुरस्कर प्राप्त हुआ है।
उत्तर पश्चिम रेलवे में स्वच्छता पर विशेष कार्य किया है, जिसके फलस्वरूप स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में NSG स्टेशनों की श्रेणी में 1000 में से 848.764 अंक प्राप्त कर प्रथम रैंक हासिल की है। सम्पूर्ण भारतीय रेलवे पर शीर्ष 10 स्टेशनों में उत्तर पश्चिम रेलवे के 07 स्टेशन शामिल है। उत्तर पश्चिम रेलवे के जयपुर और जोधपुर स्टेशनों ने NSG श्रेणी के स्टेशनों की श्रेणी मं0 लगातार प्रथम और दूसरी रैंक हासिल की है, साथ ही दुर्गापुरा स्टेशन ने तीसरी रैंक हासिल की है। अजमेर, गांधीनगर, अलवर और सूरतगढ़ ने सर्वेक्षण में अपनी पिछली रैंकिंग में सुधार किया है।
भारतीय रेलवे ने यात्रियों को स्वच्छ वातावरण प्रदान करने और स्टेशन परिसर एवं पटरियों को साफ रखने की अपनी प्रतिबद्धता में, अपने यात्री डिब्बों के लिए पर्यावरण के अनुकूल बायो-टॉयलेट विकसित किए हैं। उत्तर पश्चिम रेलवे पर 2723 डिब्बों में 8946 बायो-टॉयलेट लगाकर शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। बायो टॉयलेट लगाने से एक ओर जहां गन्दगी में कमी होगी वहीं हरित पर्यावरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान होता है। स्वच्छ और कुशल शौचालय प्रदान करने के उद्देश्य से और शौचालय में पानी की खपत को कम करने के लिए, रेलवे जैव-वैक्यूम शौचालयों का परीक्षण कर रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे ने हमसफर एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बों में कुल 286 बायो-वैक्यूम शौचालय लगाए गए हैं। ये पैसेंजर इंटरफेस पर एयरक्राफ्ट टाइप टॉयलेट हैं, जिसमें कोच पर टॉयलेट के नीचे बायो-डाइजेस्टर टैंक लगा होता है।
उत्तर पश्चिम रेलवे अपनी मौजूदा इकाइयों की ग्रीन रेटिंग प्रमाणन प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है, अब तक 08 इकाइयों को ग्रीन रेटिंग से सम्मानित किया गया है। कैरिज वर्कशॉप अजमेर, रेलवे वर्कशॉप बीकानेर, कैरिज वर्कशॉप जोधपुर, रेलवे हॉस्पिटल अजमेर, और लोको वर्कशॉप अजमेर ग्रीन रेटिंग से प्रमाणित है। रेलवे स्टेशन जयपुर, उत्तर पश्चिम रेलवे मुख्यालय भवन और केंद्रीय अस्पताल जयपुर ने अपनी-अपनी श्रेणियों में “ग्रीन प्लेटिनम रेटिंग के रूप में प्रमाणित किया गया है, जो एक वैश्विक मानक है। उत्तर पश्चिम रेलवे के कुल 27 स्टेशनों ने वर्ष 2019 में आईएसओ 14001-2015 प्रमाणन प्राप्त किया है।
रेलवे स्टेशन पर प्लास्टिक बोतल का कचरा अधिक होता है और इसे इधर-उधर फेंक देने से गंदगी फैलती है और यह पर्यावरण को भी दुषित करता है, इसके निराकरण के लिये जयपुर, जोधपुर, आबूरोड, जोधपुर, नागौर, पाली मारवाड, बाडमेर, गाँधीनगर जयपुर, अलवर, जैसलमेर तथा अजमेर स्टेशनों पर बोतल क्रशर प्लांट स्थापित किये गये है, जिससे प्लास्टिक बोतलों का उचित निराकरण होता है। इनके अतिरिक्त जयपुर, गांधीनगर जयपुर, दुर्गापुरा, अजमेर, उदयपुर, आबूरोड, श्रीगंगानगर, बीकानेर एवं मुख्यालय भवन पर सैनेट्री नेपकिन वेडिंग मशीन भी स्थापित किये गये है।
‘जल ही कल है’ इसी भावना से कार्य करते हुए उत्तर पश्चिम रेलवे पर जोधपुर, मेडता, मदार, बीकानेर, श्रीगंगानगर, बाडमेर एवं लालगढ डिपो में ऑटोमेटिक कोच वाशिग संयंत्र द्वारा गाड़ियों की धुलाई कर पानी की बचत की जा रही है। इन डिपों पर वाटर रिसाईक्लिंग प्लांट भी कार्यशील है, जिनसे प्रतिदिन 1.7 मिलियन लिटर पानी की बचत की जा रही है तथा जयपुर, हिसार एवं उदयपुर में ऑटोमेटिक कोच वांशिग संयंत्र का कार्य प्रगति पर है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर अब तक 93 स्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट उपलब्ध किये गये है, तथा प्रयास है कि हर साल कम से कम एक यूनिट (कॉलोनी, वर्कशॉप, शेड, स्टेशन इत्यादि) को रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट बनाया जाए। उत्तर पश्चिम रेलवे के चार मुख्य जं. स्टेशनों अजमेर, आबूरोड, जयपुर एवं जोधपुर पर गाड़ियों में शीघ्र पानी भरने के लिए क्विक वाटरिंग प्रणाली स्थापित की गई है एवं शीघ्र ही बीकानेर, हिसार एवं रेवाड़ी में भी स्थापित कर दी जायेंगी। उत्तर पश्चिम रेलवे मुख्यालय भवन को जल संरक्षण उपायों को अपनाने के लिए IGBC द्वारा 2019 में प्रथम जल संरक्षण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही जयपुर स्टेशन को भी जल संरक्षण के लिये अवार्ड प्रदान किया गया है।
रेलवे द्वारा हरित पर्यावरण के दायित्व की अनुपालना के लिये समय-समय पर रेलवे भूमि और पटरियों पर बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण का कार्य किया जाता है। 2018-19 में 9.1 लाख पौधे लगाये गये है। इस वित्तीय वर्ष में उत्तर पश्चिम रेलवे और राज्य वन विभाग के बीच समझौते के तहत लगभग 11.6 हेक्टेयर भूमि पर 11.6 लाख पौधे/पेड़ लगाए जा रहे है।
रेलवे का प्रयास है कि पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण के लिये यथासंभव कार्य किये जाये और पर्यावरण अनूकुल स्त्रोतो का अधिकाधिक उपयोग किया जाये।
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