महाराष्ट्र व कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर विपक्ष के नेता उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार पर किया तीखा प्रहार, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के दिया जबाब . . .

महाराष्ट्र व कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर विपक्ष के नेता उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार पर किया तीखा प्रहार, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के दिया जबाब . . .

महाराष्ट्र व कर्नाटक के बीच पिछले पांच दशकों से चला आ रहा सीमा विवाद थमता नजर नही आ रहा है। इस विवाद को लेकर तीखी राजनीतिक बयानबाजी होती नजर आ रही है। इस समय दोनों राज्यों में भाजपा सरकार है, लेकिन दोनों जगह के सीएम आमने सामने हैं। कई क्षेत्रों को अपने राज्य की जगह बताने के चलते यह विवाद शुरू हुआ है। इस विवाद को लेकर विपक्ष के नेताओं ने आज नागपुर में विधान भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। और सदन में भी इस बारे में लाए जा रहे प्रस्ताव पर विपक्ष के नेता व पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कड़ा रुख अपनाया। ठाकरे ने सीएम एकनाथ शिंदे पर आरोप लगाया कि वे सीमा विवाद पर मौन है, जबकि कर्नाटक के सीएम मुखर हैं।
महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के बीच में बेलगाम जिला जिसे बेलगावी भी कहा जाता है, भारत में सबसे बड़े अंतर-राज्यीय सीमा विवादों में से एक है। जिसे लेकर विपक्ष के नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला होने तक कर्नाटक के बेलगावी, कारवार व निप्पानी को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाए।
डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हम किसी भी हाल में सीमावर्ती इलाकों में रह रहे अपने लोगों को अकेला नहीं छोड़ेंगे। हम एक-एक इंच जमीन के लिए लड़ेंगे चाहे वह सुप्रीम कोर्ट हो या केंद्र। हम सीमावर्ती इलाकों में रहने वालों के साथ हुए अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे और प्रस्ताव लाएंगे।
इससे पहले शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा था कि जिस तरह चीन हमारे देश में घुसा है, वैसे हम कर्नाटक में घुसेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें इस पर किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, जैसे चीन घुसा है, हम (कर्नाटक) में घुसेंगे। हमें किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है। हम इसे चर्चा के जरिए सुलझाना चाहते हैं, लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री आग लगा रहे हैं। महाराष्ट्र में कमजोर सरकार है और कोई स्टैंड नहीं ले रही है।
सीमा विवाद का कारण
महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के बीच में बेलगाम जिला जिसे बेलगावी भी कहा जाता है, भारत में सबसे बड़े अंतर-राज्यीय सीमा विवादों में से एक है। इसके अलावा खानापुर, निप्पानी, नंदगाड और कारवार के क्षेत्र को लेकर भी दोनों राज्यों में विवाद चला था। इन क्षेत्रों में एक बड़ी आबादी मराठी और कन्नड़ भाषा बोलती है और लंबे समय से यह क्षेत्र विवाद का केंद्र रहा है। यह क्षेत्र 1956 में जब राज्यों का पुनर्गठन किया गया तब कर्नाटक के अधीन आए। इससे पहले ये बॉम्बे के अधीन थे, जिसे अब महाराष्ट्र कहा जाता है। जब मामला बढ़ा तो केंद्र सरकार ने इसे सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मेहर चंद महाजन के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया। मामला अभी तक सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
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