राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन से बातचीत करने के लिए हुए राजी, कहा- भारत और चीन हो सकते शांति वार्ता में मध्यस्थ
रूस-यूक्रेन युद्ध को 2 साल से ज्यादा हो गए हैं लेकिन यह युद्ध अभी तक धमने का नाम नही ले रही हैं। इस युद्ध को लेकर दुनिया के कई देशों ने रूस पर पाबंदियां लगा दी हैं। रूस ने यूक्रेन पर कई बड़े हमले किए कई लोगों की जान गई लेकिन रूस को बड़ी सफलता हाथ नही लगी हैं। दूसरी ओर यूक्रेन रूस का डटकर मुकाबला कर रहा पीछे नही हट रहा। अब इस बीच रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने BRICS देशों से उम्मीद जताई है कि वे शांति वार्ता में मध्यस्थ के रूप में काम कर सकते हैं। ब्रिक्स पांच देशों का समूह है, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, पुतिन ने कहा है कि भारत, चीन या ब्राजील दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कर सकते हैं।
रूस के शहर व्लादिवोस्तोक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम (EEZ) में बातचीत के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि 2022 में जब जंग शुरू हुई थी, तब तुर्किये ने दोनों देशों के बीच समझौता कराने की कोशिश की थी। इस्तांबुल में हुई बातचीत में रूस और यूक्रेन वार्ताकारों के बीच हुआ प्रारंभिक समझौता हुआ जिसे कभी लागू नहीं किया गया। अब नए सिरे से बातचीत शुरू करने के लिए प्रारंभिक वार्ता को आधार बनाया जा सकता है। बतादें पहली वार्ता में रूस ने शर्त रखी कि यूक्रेन को दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसोन और जपोरजिया में तैनात अपने सैनिक को हटाना होगा। इसके अलावा यूक्रेन कभी भी नाटो का हिस्सा नहीं बनेगा। यूक्रेन ने रूस की इन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया था। अब पुतिन का यह बयान ऐसे समय आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ महीने पहले रूस दौरे पर गए। इसके बाद यूक्रेन का दौरा कर युद्ध का कूटनीति से हल निकालने का आह्वान किया था।
रूसी विदेश विभाग ने भारत को एक प्रभावशाली वर्ल्ड पावर बताया जो अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार अपनी विदेश नीति बनाता है। रूस ने यह भी कहा है कि वह यूक्रेन के मुद्दे पर अपने भारतीय दोस्तों के साथ बातचीत जारी रखने के लिए तैयार है।
रूस के शहर व्लादिवोस्तोक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम (EEZ) में बातचीत के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि 2022 में जब जंग शुरू हुई थी, तब तुर्किये ने दोनों देशों के बीच समझौता कराने की कोशिश की थी। इस्तांबुल में हुई बातचीत में रूस और यूक्रेन वार्ताकारों के बीच हुआ प्रारंभिक समझौता हुआ जिसे कभी लागू नहीं किया गया। अब नए सिरे से बातचीत शुरू करने के लिए प्रारंभिक वार्ता को आधार बनाया जा सकता है। बतादें पहली वार्ता में रूस ने शर्त रखी कि यूक्रेन को दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसोन और जपोरजिया में तैनात अपने सैनिक को हटाना होगा। इसके अलावा यूक्रेन कभी भी नाटो का हिस्सा नहीं बनेगा। यूक्रेन ने रूस की इन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया था। अब पुतिन का यह बयान ऐसे समय आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ महीने पहले रूस दौरे पर गए। इसके बाद यूक्रेन का दौरा कर युद्ध का कूटनीति से हल निकालने का आह्वान किया था।
रूसी विदेश विभाग ने भारत को एक प्रभावशाली वर्ल्ड पावर बताया जो अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार अपनी विदेश नीति बनाता है। रूस ने यह भी कहा है कि वह यूक्रेन के मुद्दे पर अपने भारतीय दोस्तों के साथ बातचीत जारी रखने के लिए तैयार है।
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