जानिए कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा और पूजा विधि, दीपदान का क्यों है विशेष महत्व? 

जानिए कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा और पूजा विधि, दीपदान का क्यों है विशेष महत्व? 

प्रिय पाठकों/मित्रों, इस वर्ष कार्तिक पूर्ण‍िमा 2017 की पूजा इस साल 4 नवंबर 2017 को मनाई जाएगी| सनातन धर्म में पूर्णिमा को शुभ , मंगल और फलदायी माना गयाहै। हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में 16 पूर्णिमा होती है और इस 16 पूर्णिमा में  वैसाख, माघ और कार्तिक पूर्णिमा   को स्नान-दान के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की  इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमाशनिवार 4 नवंबर 2017 को मनाई जाएगी।  ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु नेअपना पहला अवतार लिया था. वे मत्स्य यानी मछली के रूप में प्रकट हुए थे. वैष्णवपरंपरा में कार्तिक माह को दामोदर माह के रूप में भी जाना जाता है. बता दें किश्रीकृष्ण के नामों में से एक नाम दामोदर भी है. कार्तिक माह में लोग गंगा और अन्यपवित्र नदियों में स्नान आदि करते हैं. कार्तिक महीने के दौरान गंगा में स्नान करनेकी शुरुआत शरद पूर्णिमा के दिन से होती है और कार्तिक पूर्णिमा पर समाप्त होती है.कार्ती पूर्णिमा के दौरान उत्सव मनाने की शुरुआत प्रबोधिनी एकादशी के दिन से होतीहै. कार्तिक महीने मे पूर्णिमा शुक्ल पक्ष के दौरान एकदशी ग्यारहवें दिन औरपूर्णिमा पंद्रहवीं दिन होती है. इसलिए कार्तिक पूर्णिमा उत्सव पांच दिनों तक चलताहै |
 
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की  पूर्णिमा यानी चन्द्रमा कीपूर्ण अवस्था। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा से जो किरणें निकलती हैं वह काफी सकारात्मक होती हैं और सीधे दिमाग पर असर डालती हैं। चूंकि चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे अधिक नजदीक है, इसलिए पृथ्वी पर सबसे ज्यादा प्रभाव चन्द्रमा का ही पड़ता है। भविष्यपुराण के अनुसार वैशाख, माघ और कार्तिक माह की पूर्णिमा स्नान-दान के लिए श्रेष्ठमानी गई है। इस पूर्णिमा में जातक को नदी या अपने स्नान करने वाले जल में थोड़ा सागंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए और इसके बाद भगवान विष्णु का विधिवत पूजन करनाचाहिए। पूरे दिन उपवास रखकर एक समय भोजन करें। गाय का दूध, केला, खजूर, नारियल, अमरूद आदि फलों का दान करना चाहिए। ब्राह्मण, बहन, बुआ आदि को कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है। 
 
कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन वृषोसर्ग व्रत रखा जाता है। इस दिन विशेष रूपसे भगवान कार्तिकेय और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान हैं। यह व्रत शत्रुओं कानाश करने वाला माना जाता है। इसे नक्त व्रत भी कहा जाता है।इस दिन ब्रह्मा जी का ब्रह्मसरोवर पुष्कर में अवतरण भी हुआ था। अतः कार्तिक पूर्णिमा के दिन पुष्कर स्नान, गढ़गंगा, उज्जैन,कुरुक्षेत्र, हरिद्वार और रेणुकातीर्थ में स्नान दान का विशेष महत्व माना जाता है। 
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