भीलवाड़ा जिले में पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार

भीलवाड़ा जिले में पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार

भीलवाड़ा, 20 नवम्बर/राजस्थान में पशुपालन, पशु चिकित्सा सेवाओं तथा पशुपालन क्षेत्र विकास की दृष्टि से प्रदेश सरकार अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से भरसक प्रयासों में जुटी हुई है।
प्रदेश के पशुपालक उत्साह से इनका लाभ पाते हुए अपनी माली हालत सुधारने और पशुपालन को आर्थिक उन्नति का सशक्त माध्यम बनाते हुए सामाजिक एवं आर्थिक विकास में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।
हाल के चार वर्ष में प्रदेश सरकार ने पशुपालन क्षेत्र को तरक्की के आयाम प्रदान करने के लिए जो कार्य किए हैं उनके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। इन चार वर्ष में  भीलवाड़ा जिले में पशुपालन व चिकित्सा सेवाओं और सुविधाओं के विस्तार की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की गई हैं।
नवीन संरचना और संसाधनों का विस्तार
जिले में पशुपालन एवं चिकित्सा सुविधाओं की दृष्टि से नवीन संसाधनों के विकास और पशुओं की सेहत रक्षा के उपायों की दृष्टि से पशुपालन विभाग द्वारा बेहतर उपलब्धियां हासिल की गई हैं। राज्य सरकार के 4 वर्ष के दौरान पशुपालन विभाग द्वारा बहुद्देश्यीय पशुचिकित्सालय, भीलवाड़ा में भवन निर्माण, एक्स-रे एवं सोनोग्राफी कक्ष, उपनिदेशक कार्यालय निर्माण करवाया गया जिस पर 23.95 लाख की लागत आयी।
सोनोग्राफी मशीन क्रय कर इन्स्टाल की गई जिस पर 4.32 लाख रुपये की धनराशि व्यय हुई। नवीन जिला औषधि भण्डार व अवशीतन कक्ष निर्माण पर 25.03 लाख रुपये का व्यय हुआ। जिला स्तरीय मोबाईल यूनिट एवं तहसील स्तरीय मोबाईल युनिटों के भवन निर्माण पर कुल रुपए 222.75 लाख का व्यय हुआ।
जिले में 8 उपकेन्द्रों के भवन निर्माण पर 64 लाख रुपये का बजट आवंटन हुआ एवं 24 लाख रुपये के बजट में से पशुचिकित्सालय, कनेछनकलां (शाहपुरा) के भवन का निर्माण हो चुका है जबकि पशु चिकित्सालय, सरगांव (गंगापुर) का भवन निर्माणाधीन है। वर्ष 2017-18 में 20 पशुचिकित्सा संस्थाओं के नवीन भवन निर्माण के लिए कुल   रुपए 494 लाख का बजट आवंटित हो चुका है।
फ्लेगशिप योजना में बेहतर कार्य
राज्य सरकार की फ्लेगशीप योजना - पशुधन निःशुल्क आरोग्य योजना के अन्तर्गत पिछले 4 वर्षों में कुल रुपए 625.38 लाख की 134 प्रकार की अति आवश्यक औषधियां एवं 35 प्रकार के सर्जिकल कन्ज्यूमेबलस का पशुचिकित्सा में उपयोग करते हुए पशुपालकों को लाभान्वित किया गया।
केन्द्र हुए क्रमोन्नत, हुई नियुक्तियाँ
कुल 71 नवीन पशुचिकित्सा उपकेन्द्र खोले गये, 5 पशु चिकित्सा उपकेन्द्रों को पशुचिकित्सालय में क्रमोन्नत किया गया। कुल  18 पशु चिकित्सा अधिकारियों एवं 67 पशुधन सहायकों की नियुक्तियां की गई।
पशुपालकों ने पायी नई तकनीक
 नेशनल लाइव स्टॉक मिशन योजनान्तर्गत पशुपालकों को अन्तः जिला भ्रमण कराकर पशुपालन उत्प्रेरण कार्यक्रम में उन्नत पशु प्रबन्धन एवं आधुनिक पशुपालन तकनीक के लिए पशु प्रदर्शनी स्थल, पशु डेयरी संयंत्रा, गौशाला एवं पशु आहार संयंत्र का विजिट कराया गया।
ऊँट विकास योजना में योगदान
 ऊँट विकास योजना के तहत जिले के ऊँट पालकों को कुल 583 टोडियों के लिए प्रथम किश्त के रूप में कुल 17.49 लाख का भुगतान किया जा चुका है। ऊँटों में सर्रा रोग नियन्त्राण के तहत विगत 4 वर्षों कुल 14 शिविरों का आयोजन ऊँट बहुल्य क्षेत्रों में किया जा चुका है।
पशुओं का बीमा, पशुपालकों का कल्याण
भामाशाह पशु बीमा योजना के तहत कुल 5170 पशुओं का बीमा किया जा चुका है। पशु नस्ल सुधार कार्यक्रम के अन्तर्गत 313130 पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान किया गया एवं 99263 उन्नत नस्ल के वत्स उत्पन्न हुए। बिखरी जनजाति योजनान्तर्गत विगत 4 वर्ष में बी.पी.एल. चयनित के 210 पशुपालकों को पोर्टेबल मेन्जर, 450 पशुपालकों के मिल्ककेन सेट (प्रत्येक को 10 लीटर का 01 और 05 लीटर के 02 केन), 210 पशुपालकों को प्रत्येक को एक सिरोही नस्ल का बीजू बकरा निःशुल्क वितरित किया गया।
बिखरी जनजाति आबादी क्षेत्र में इन पशुपालकों के लिये 7 बकरी पालन प्रशिक्षणों, 15 पशुपालन प्रशिक्षणों, 5 पशुचिकित्सा एवं बांझपन निवारण शिविरों और 15 डिवर्मिंग शिविरों के आयोजन के साथ-साथ 25 स्थानों पर ट्रेविस स्थापित किये गये।
 इन क्षेत्रों में बी.पी.एल. चयनित पशुपालकों के गाय एवं भैंसों में निःशुल्क कृत्रिम गर्भाधान भी किया गया। बेकयार्ड पोल्ट्री योजनान्तर्गत 20 चूजों की दर से 200 मुर्गीपालकों को कुल 4000 चूजे वितरित किये गये। मदर युनिट आवास निर्माण पर 60 हजार रुपए व्यय हुए।
इस योजना में परिवहन पर व्यय राशि  के साथ-साथ 100 चूजों को 28 दिन तक पालनें की सहायता राशि प्रति चरण 50 हजार रुपए का भुगतान किया जाता है एवं प्रति मुर्गीपालक को 1500 रुपए की दर से भुगतान किया जाता है।  कुल चार चरणों में प्रति चरण 50 मुर्गीपालकों की दर से 200 मुर्गीपालक लाभान्वित हुए। जिले में पशुओं में एफ.एम.डी. (खुरपका मुँहपका) रोग के बचाव के लिए पांच चरणों में 24,50,810 टीके लगाये गये।
सेवाओं के विस्तार ने किया लाभान्वित
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. भगवान सहाय बताते हैं कि वर्तमान राज्य सरकार के चार वर्षीय कार्यकाल में भीलवाड़ा जिले में पशु चिकित्सा सेवाओं और पशुपालन के साथ ही पशुपालकों के कल्याण की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं और इनकी बदौलत जिले के पशुपालक सहूलियतों का अहसास कर अभिभूत हैं।   
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