उत्तम सेवा धाम पर साकार हुआ ऋषियुगीन परिवेश धरती माहौल बनाती है तब टूट कर बरसते हैं बादल - उत्तम स्वामी

उत्तम सेवा धाम पर साकार हुआ ऋषियुगीन परिवेश धरती माहौल बनाती है तब टूट कर बरसते हैं बादल - उत्तम स्वामी

बांसवाड़ा, 9 जुलाई/ध्यानयोगी महर्षि उत्तम स्वामी महाराज ने आध्यात्मिक, प्राकृतिक और सांसारिक जगत के मध्य समन्वयवादी दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा है कि बादल भी अपनी मेहर वहीं बरसाते हैं जहां धरती उन्हें बरसने का अनुकूल माहौल देती है, यही सिद्धांत अध्यात्म जगत में गुरुकृपा पर लागू होता है, गुरुकृपा भी साधक की श्रद्धा पर ही बरसती है।
शहर के उदयपुर रोड़ जानामेड़ी स्थित उत्तम सेवा धाम रवीन्द्र ध्यान आश्रम पर रविवार को गुरुपूर्णिमा महोत्सव का दृश्य वागड़ की कालिन्दी कही जाने वाली कागदी के तट पर महाकुंभ की तस्वीर बयां कर रहा था। मुझे मिल गया मन का मीत, मेरी लगी गुरु संग प्रीत की दुनिया क्या जाने गीत की धुन पर वातावरण गुरुभक्ति की चरम सीमा तक पहुंच गया।
इस मौके पर ध्यानयोगी ने कहा कि गुरुपूर्णिमा भक्ति, शक्ति, युक्ति और प्राप्ति का पर्व है। चारों धाराएं गुरुपूर्णिमा पर युगों से प्रवाहित होती आई हैं और इस प्रवाह से ही देश का अध्यात्म जगत फलीभूत होता रहा है।
प्रदर्शन नहीं, समर्पण कीजिए :
स्वामीजी ने कहा कि गुरु के समक्ष न तो जताने की कोशिश करो, न उन्हें बताने की। गुरु प्रदर्शन से नहीं, समर्पण से प्रसन्न होते हैं। शास्त्र भी इस बात का प्रमाण हैं कि भक्ति प्रदर्शन का नहीं समर्पण का विषय है। उन्होंने कहा कि गुरु के प्रति भरोसा अगाध होना चाहिए। भक्तिमती शबरी को जितनी खुशी भगवान राम के कुटिया पर आने की थी उससे कहीं ज्यादा खुशी उन्हें अपने गुरु मतंग ऋषि के वचन सिद्ध होने पर हो रही थी। स्वामीजी ने कहा कि गुरु को किया हुआ प्रणाम भी साधक को तार देता है। उन्होने गुरु कृपा की पात्रता के लिए साधक की परिपक्वता को अपरहिर्य बताते हुए कहा कि जिस प्रकार पानी पात्र की कुशलता पर ही संचित होता है उसी प्रकार परमात्म कृपा के लिए भी भक्त के भीतर का मन रुपी पात्र पक्का,सीधा,मजबूत और खाली होना आवश्यक है। उन्होने कहा कि विश्वास का न डगमगाना ही सच्चे अर्थ में सामर्थ्य का प्रतीक है। संसार के अन्तःबाह्य प्रभावों से विचलित न होना ही सच्चे भक्त की पहचान है।
इसलिए है गुरु ब्रह्मा, विष्णु, महेश :
स्वामीजी ने गुरु के प्रति भारतीय संस्कृति में वर्णित शाश्वत भावों का मर्म समझाते हुए कहा कि गुरु ब्रह्मा की तरह प्रत्येक व्यक्ति के मन में जीवन मूल्यों का सृजन करता है इसलिए वह ब्रह्मा है, हर परिस्थिति में साधक का पालन करता है इसलिए वह विष्णु है और उसके भीतर पनपने वाले षडविकारों का नाश कर जीवन को पवित्रता के साथ जीने का अभ्यास देता है इसलिए वह महेश है। गुरु का संरक्षण और सानिध्य ही शिष्य को परमात्म दर्शन का अवसर देता है। गुरु की शरण में आने पर भक्त स्वयं को इतना सामर्थ्यवान बना देता है कि वह किसी भी प्रकार के सांसारिक प्रभाव से विचलित नहीं होता है। स्वामीजी ने कहा कि परमात्मा की तुलना क्षय और वृद्धि से कभी ना करें। प्राप्ति भी परमात्मा की कृपा से होती है और क्षरण भी। उसी की कृपा का अंग है। इसलिए प्राप्ति के प्रति सावधान तो रहना चाहिए परंतु ईश्वरीय प्राप्ति के प्रति, सांसारिक के नहीं।
गुरुदक्षिणा की पाई-पाई शिक्षा को समर्पित :
गुरुभक्तों को संबोधित करते हुए गुरुदेव उत्तम स्वामी ने गुरुदक्षिणा का महत्त्व बताया और श्रद्धालुओं कहा गुरुदक्षिणा के रूप में प्राप्त होने वाली पाई-पाई भी संस्थान द्वारा चलाए जा रहे शिक्षा प्रकल्पों में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के लिए सौंप दी जाती है। गुरुदेव के यह कहने के साथ ही मौजूद श्रद्धालुओं ने जयकारा गुरुदेव का, जय-जय गुरुदेव के उद्घोष के साथ इस पुनित कार्य के प्रति अपनी सहमति जताई।
ऋषिकाल के आश्रम की यादें हो गयी ताज़ा :
उदयपुर मार्ग पर नगरीय सीमा से लगभग तीन किलोमीटर दूर कागदी के किनारे स्थित उत्तम सेवा धाम की सामान्यतया वर्षभर रहने वाली विरानी भी ऋषि परंपरा के आश्रमों की एकांतता का बोध कराती है तो प्रतिवर्ष यहां मनाएं जाने वाले गुरुपूर्णिमा महोत्सव पर उमड़ने वाला भक्तों का सैलाब भी उन ऋषियों के आश्रमों में उमड़ने वाले शिष्यों के हुजुम की तरह का नज़ारा पेश करता है। यही दृश्य रविवार को मनाए गए गुरुपूर्णिमा महोत्सव पर नज़र आया। लगभग दस हजार श्रद्धालुओं की मौजूदगी में स्वामीजी मुख्य मंच पर रखे अपने आसन से उठकर भक्तों के बीच गीतों की स्वर लहरियां बिखेरते पहुंच गए तब वहां जमा उनके अनुयायी शब्दों के मोती और कृपा की अमृत बूंदें बटोरने की होड़ में जुटे नज़र आए। गुरुजी के साथ गायन में संगत करती भक्तों की जनमेदिनी ने मेरी लगी गुरुसंग प्रीत, दुनिया क्या जाने से गगन गुंजायमान कर दिया। हर बार गुरुदेव के जयकारे लगते रहे। हजारों शिष्यों के मध्य गुरुदेव की अंतिम छोर तक पहुंचने और वहां से आसन तक लौटते समय का नज़ारा बच्चे, युवा, वृद्ध सभी को भाव विह्वल करते हुए यह बताने को काफी था कि तपस्या में ही वह बल है कि मात्र 43 साल की प्रौढ़ावस्था का संत हजारों मुरिदों की श्रद्धा का केन्द्र है।
गुरुपादपूजन व गुरुमंत्र दीक्षा भी हुईः
उत्तम सेवा धाम पर रविवार को गुरुपूर्णिमा महोत्सव के तहत सुबह यज्ञाचार्य पं. दिव्यभारत पण्ड्या के आचार्यत्व में सामूहिक गुरुपूजन हुआ जिसमें महोत्सव के मुख्य यजमान डूंगरपुर नगरपरिषद सभापति के.के.गुप्ता, प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सर्राफ व पंचायती राज व ग्रामीण विकास राज्यमंत्री धनसिंह रावत ने गुरुपाद पूजन किया और आरती उतारी। इस दौरान गुरु महिमा के भजनों की स्वर लहरियां धाम परिसर को गूंजायमान करती रही। दोपहर में गुरुमंत्र दीक्षा हुई जिसमें सैकड़ों लोगों ने गुरुदीक्षा ग्रहण की।
उत्तम कृपा विशेषांक का हुआ विमोचन :
समारोह में ध्यानयोगी उत्तम स्वामी पर प्रकाशित की जाने वाली पत्रिका ‘उत्तम कृपा’ के गुरुपूर्णिमा विशेषांक का विमोचन स्वयं ध्यानयोगी उत्तम स्वामी ने महोत्सव के मुख्य यजमान के.के.गुप्ता, पत्रिका के प्रधान संपादक रुपेश भावसार, प्रबंध संपादक निखिलेष त्रिवेदी, अतिथि संपादक कमलेश शर्मा व जलज जानी की मौजूदगी में किया। इस दौरान प्रधान संपादक भावसार ने पत्रिका के विमोचन उपरांत पत्रिका पर गुरूदेव के हस्ताक्षर लेते हुए प्रतियां गुरुदेव को भेंट की। समारोह में पारसोला के कलाकार मिलन पण्ड्या द्वारा तैयार किए गए गुरुदेव के चित्र, उत्तम सेवा संस्थान द्वारा संचालित विद्यालयों के कलेण्डर तथा मुख्य यजमान के.के.गुप्ता द्वारा प्रकाशित कलेण्डर का भी विमोचन किया गया। विमोचन दौरान विद्यालय प्रभारी विनोद कुमार और यशवंत भावसार मौजूद थे।
समारोह में अखिल भारतीय गुरुभक्त मण्डल के अध्यक्ष तपन भौमिक, प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सर्राफ व पंचायती राज व ग्रामीण विकास राज्यमंत्री धनसिंह रावत, केकड़ी विधायक व संसदीय सचिव शत्रुघ्न गौतम, मुख्य यजमान डूंगरपुर नगरपरिषद सभापति के.के.गुप्ता, साहित्यकार प्रकाश पण्ड्या ‘प्रतीक’ ने संबोधित करते हुए गुरु महिमा पर अपने विचार व्यक्त किए।
समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुज प्रहलाद मोदी, मध्यप्रदेश के एसटी आयोग के अध्यक्ष भूपेन्द्र आर्य, आरएसएस के प्रांत प्रचारक गजेन्द्रसिंह, अमरावती के निलेश विश्वकर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष मनोहर त्रिवेदी, नगर परिषद सभापति मंजूबाला पुरोहित, एडवोकेट भगवतपुरी, पूर्व विधायक अर्जुन बामनिया, पूर्व सभापति राजेश टेलर, महेश गुप्ता, भगवतीलाल सोनी, भारतभूषण गांधी, नासिक के संजय नागरे, पुष्करण सोनी, कुलवंत डांगी, सहित हजारों की संख्या में गुरुभक्त मौजूद थे। समारोह का आकर्षक संचालन साहित्यकार सतीश आचार्य ने किया।
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