जानिए 5 ग्रहों के दवारा बनने वाला पंचमहापुर्ष योग के बारे में

जानिए 5 ग्रहों के दवारा बनने वाला पंचमहापुर्ष योग के बारे में

पंचमहापुर्ष योग - पंचमहापुर्ष योग 5 ग्रहों के दवारा बनने वाला योग होता है। जिसे मंगल, बुध, गुरु , शुक्र और शनि देवता कुंडली के किसी भी एक केंद्र स्थान (1,4,7,10) में से अपनी स्व-राशि , अपनी मूलत्रिकोण राशि या अपनी उच्च राशि में बनाते है। (क) रूचक योग / Ruchaka Yoga - मंगल से बनने वाला यह योग अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण योग है, कुंडली के केंद्र स्थान 1,4,7,10 में मंगल देवता इस योग का निर्माण करते है। 1,4,7 भाव जहाँ मंगल देव मंगली योग का भी निर्माण करते है लेकिन जब इन घरो में मंगल जब अपनी स्व-राशि , अपनी मूलत्रिकोण राशि या अपनी उच्च राशि बैठ हो तो वह रूचक योग का सृजन करते है जो कि व्यक्ति को उसके वर्किंग फील्ड में एक राजाकी तरह सम्मान प्राप्त करवा देता है। इसके अलावा ऐसा व्यक्ति दुसरो से अपनी बात मनवाने में समर्थ होते है। अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते है। इसके अलावा मंगलदेव जातक को साहसी कार्य जैसे आर्मी, पोलिस फ़ोर्स , आर्म्ड फोर्सेज आदि से जोड़ते है। मेडिकल, मेडिशन, सर्जरी डॉक्टरी पैसा, बड़े प्रॉपर्टी डीलर, रियल स्टेट का व्यवसाय इत्यादि से भी जातक को जोड़ देते है। आपने अक्सर कुछ मंगली व्यक्तियो कोदेखा होगा जो अपने जीवन में बहुत उन्नति करते है उसका कारण यही योग होता है। (ख ) भद्र योग / Bhadra Yoga - बुध देवता द्वारा बनने वाला भद्र योग जातक कोपत्रकारिता, टीचिंग, लायस्निंग, लेखन व् ज्योतिष विद्या में बहुत अधिक मान सम्मानदिलवा देता है तथा इन जातको में सामान्य से अधिक बुद्धि होती है। इस योग में जन्मेजातक की कीर्ति अमर हो जाती है तथा वह मरने के बाद भी उसकी उपलब्दियो व् उसके ज्ञानके लिए याद किया जाता है। (ग) हंस योग / Hans Yoga - देवताओ के गुरु बृहस्पति के द्वारा बनने वाला हंसयोग जातक को विद्वान और ज्ञानी बनता है. उसमें न्याय करने का विशेष गुण होता है, तथा हंस के समान वह सदैव शुभ आचरण करता है। उसमें सात्विक गुण पाये जाते है। भगवानमें उसकी विशेष आस्था होती है तथा पूर्णत आस्तिक होता है। ऐसे व्यक्ति अपने जीवनमें हर सुख सुविधा को भोगते है। (घ) मालव्य योग / Malavya Yoga - असुरो के गुरु शुक्राचार्य को कई विद्याओ मेंदेवताओ के गुरु बृहस्पति से भी ज्यादा निपुणता प्राप्त है। यही शुक्राचार्य शुक्रदेवता के नाम से जाने जाते है। सम्पूर्ण 64 कलाओं के स्वामी शुक्र देवता पूरीजन्मकुंडली में केवल अकेले खुद ही अच्छी स्थिति में हो तो व्यक्ति को सारे ऐश्वर्यभोग विलास दे देते है। मैंने ऐसी ऐसी जन्मकुंडली भी देखी है जिनमे अकेले उच्च केशुक्र देवता ने जातक को सम्पूर्ण ऐश्वर्य दे रखा है, सारी भोग विलासिता के चीज़ेउनको उपलब्ध करवाई हुई है। दोस्तों इसका मतलब यह मत लेना की हम तो कर्म करेंगे हीनही अकेला शुक्र देवता सब कुछ कर देगा ऐसा कभी संभव नही है । होटल्स, रेस्तरां, फैशन और फैशन डिजाइनिंग, नृत्य, एक्टिंग, सिंगिंग, ब्यूटी पार्लर, बार ऐंड क्लब यहसब शुक्र देवता से सम्बंधित कार्य है । कुंडली में शुक्र देवता केंद्र या त्रिकोणमें उच्च राशि के हो तो व्यक्ति को परम ऐश्वर्य सिद्ध करा ही देते है। (ङ) शश योग / Sasha Yoga - शश योग का निर्माण शनि महाराज कुंडली के केंद्रस्थानो में से किसी एक केंद्र स्थान में करते है। यह योग अपने आप में ही काफीमान्यता प्राप्त राज योग है। भारत के भूतवपूर्ण प्रधानमंत्री श्री अटल विहारी वाजपेयी की कुंडली में यह योग विराजमान है। हालंकि शनि का केंद्र में होने का एकसाइड इफ़ेक्ट जरूर है शनि महाराज जब भी अपने घर को छोड़ कर किसी भी घर को देखते है तोउसका सुख ख़त्म ही कर देते है। जैसे की श्री अटल विहारी वाजपेयी और श्री नरेंद्र मोदी दोनों की कुण्डलियों में शनि 10 हाउस में बैठ कर अपनी दशवीं दृश्टि से पत्नी के घर को देखते है तो दोनों को ही पत्नी का सुख नसीव नही हो पाया। हालंकि एक की शादी तो हो गयी लेकिन पत्नी से दुरी ही रही वही अटल जी की शादी ही नही हुई। तो यह कार्य शनि महाराज का है। लेकिन अगर शनि देव खुद ही 7 घर के स्वामी हो और उसे देखेया फिर वहां शश योग का निर्माण करे तो स्थिति बदल जाती है और वहां पति पत्नी में अलगाव की स्थिति नही आती।