त्रिदिवसीय संगीत का महाकुंभ 15 फरवरी से आयोजन को लेकर हुई बैठक
उदयपुर, 18 जनवरी/झीलों की नगरी उदयपुर में आगामी माह 15 से 17 फरवरी तक संगीत के महाकुंभ का आयोजन होगा जहां लहरों के बीच, झील किनारे एवं शहर के मध्य देश-विदेश के विभिन्न फनकार अपने सुरों का जादू बिखेरेंगे। यह आयोजन जिला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग के सहयोग से कल्चलर इवेंट ऑर्गेनाइजेशन “सहर“ द्वारा किया जा रहा है।
अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) संजीव कुमार व अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) चांदमल वर्मा ने आयोजन को सफल बनाने हेतु विभिन्न विभागों को आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किए। उन्होने कार्यक्रम स्थल की लॉ एण्ड ऑर्डर, फायर ब्रिगेड, बैठक व्यवस्था, साफ-सफाई, टॉयलेट, पानी, सुरक्षा आदि के साथ ही पार्किंग व्यवस्था एवं व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने को कहा। उन्होने कहा कि लगातार तीन वर्षों से हो रहे वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल ने लेकसिटी की पर्यटन के क्षेत्र में पहचान को नई ऊंचाइयां दी है।
बैठक में यूआईटी विशेषाधिकारी ओ.पी.बुनकर, एएसपी पारस जैन, पर्यटन उपनिदेशक शिखा सक्सेना, एमबी चिकित्सा से डॉ. रमेश जोशी, यूआईटी से अधीक्षण अभियंता मुकेश जानी सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी एवं आयोजक टीम सहर के संस्थापक संजीव भार्गव सहित पेकर हक, दीपक जोशी आदि मौजूद थे।
150 से अधिक नामचीन कलाकार बिखेरेंगे जलवा
श्री भार्गव ने बताया कि फेस्टिवल का यह चौथा संस्करण दुनियाभर के 150 से अधिक नामचीन कलाकारों की मौजूदगी का गवाह बनेगा। इसमें स्पेन, इटली, फ्रांस, क्यूबा, ब्राजील, भारत सहित 20 से अधिक देशों के कलाकार हिस्सा लेंगे। हर साल 50,000 से ज्यादा लोगों की आमद के साथ, यह फेस्टिवल देश में प्रदर्शनकारी कला जगत को रूपांतरित कर देने वाला साबित हुआ है।
तीन सत्रों में होंगे आयोजन
फेस्टिवल में बेमिसाल जीवंत प्रदर्शन होते हैं और यह सर्वश्रेष्ठ ढंग से सांस्कृतिक विविधता का जश्न मनाता है। तीन सुरम्य आयोजन स्थलों में फैला यह फेस्टिवल संगीत की गहन विविधता में डूब जाने का अवसर प्रदान करता है। इस विविधतापूर्ण संगीत में सुबह के ध्यानपूर्ण राग से लेकर दोपहर में झील के बगल में गूंजने वाली साकार रूमानी संगीत प्रस्तुतियों तक, दिनभर की तमाम मनोदशाएं सम्मिलित होती हैं। सांध्यकालीन मंच जोशीले युवा संगीत से भरपूर होता है, जो सभी आयु वर्ग के लोगों को एक साथ ले आता है। इसके अलावा, महोत्सव में स्थानीय राजस्थानी प्रतिभाएं भी अपनी प्रस्तुतियां देती हैं। यह स्थानीय कलाकारों को एक बेशकीमती मंच और व्यापक पहुंच देता है।
संगीत की विभिन्न शैली व विधाओं को होगा प्रदर्शन
इस साल का महोत्सव विभा सराफ (भारत), अल्बाललुना(पुर्तगाल), ला डेम ब्लैंच (क्यूबा - फ्रांस), नेटिग रिदम ग्रुप (अजरबैजान), एला कैटररेस (कैटेलोनिया, स्पेन) जैसे कई कलाकारों और समूहों के प्रदर्शन का गवाह बनेगा, जो संगीत की विभिन्न शैलियों और विधाओं का प्रदर्शन करके जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर देंगे। कार्यक्रमों में आम जनता के लिए प्रवेश निशुल्क रहेगा। आयोजन के दौरान एयरपोर्ट एवं रेल्वे स्टेशन पर भी लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुति जाएगी तथा इन दोनो स्थलों पर आगंतुकों को इवेंट की जानकारी प्रदान करने के लिए हेल्प डेस्क भी लगाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि कार्यक्रमों में आम जनता के लिए प्रवेश निशुल्क रहेगा। कलाकारों एवं आगन्तुकों का एयरपोर्ट एवं रेल्वे स्टेशन पर लोक कलाकारों द्वारा लोक प्रस्तुतियों के साथ स्वागत किया जाएगा। साथ ही दोनो स्थानों पर कार्यक्रम की जानकारी के लिए हेल्प डेस्क भी लगाई जाएगी।
सहर के विषय में
संजीव भार्गव द्वारा 1994 में स्थापित, सहर का शाब्दिक अर्थ है “पौ फटना“ या “भोर होना“। अपनी स्थापना के बाद से ही सहर चित्रकला, मूर्तिकला, रंगमंच, नृत्य, संगीत, साहित्य और सिनेमा जगत में विचारशील और कल्पनाशील पहलों का पर्याय रहा है। सहर की स्थापना सांस्कृतिक रूप से अभिजात एक छोटे वर्ग के बजाय, भारतीय संस्कृति को बड़ी संख्या में लोगों तक ले जाने के विजन के साथ की गई थी। पिछले 15 वर्षों में, सहर प्रदर्शनकारी और दृश्य कला के क्षेत्र में सबसे ऊंची प्रतिष्ठा रखने वाले संगठनों में शुमार हो चुका है - प्रदर्शनों की विविधता के साथ ही उस असाधारण ढंग के लिए जिसमें हर किसी को ध्यान में रखा गया है। इसके आयोजनों की कई बार ऐतिहासिक, अभिनव और एकदम अलहदा कहकर तारीफ की गई है।
इनमें प्राचीन स्मारकों के साथ-साथ सार्वजनिक स्थलों पर जीवंत (लाइव) प्रदर्शन शामिल हैं। इनमें से कई तो भारत में पहली बार हुए और उन्होंने हजारों लोगों को आकर्षित किया है। इनके अलावा, सहर की कुछ प्रमुख पहलों में लंदन में ट्राफलगर स्क्वायर और रीजेंट स्ट्रीट पर इंडिया नाउ अभियान, अनन्या- शास्त्रीय नृत्य महोत्सव, भक्ति उत्सव, दिल्ली जैज फेस्टिवल, साउथ एशियन बैंड्स फेस्टिवल, सार्क आर्टिस्ट कैंप और उदयपुर विश्व संगीत महोत्सव सम्मिलित हैं।
अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) संजीव कुमार व अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) चांदमल वर्मा ने आयोजन को सफल बनाने हेतु विभिन्न विभागों को आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किए। उन्होने कार्यक्रम स्थल की लॉ एण्ड ऑर्डर, फायर ब्रिगेड, बैठक व्यवस्था, साफ-सफाई, टॉयलेट, पानी, सुरक्षा आदि के साथ ही पार्किंग व्यवस्था एवं व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने को कहा। उन्होने कहा कि लगातार तीन वर्षों से हो रहे वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल ने लेकसिटी की पर्यटन के क्षेत्र में पहचान को नई ऊंचाइयां दी है।
बैठक में यूआईटी विशेषाधिकारी ओ.पी.बुनकर, एएसपी पारस जैन, पर्यटन उपनिदेशक शिखा सक्सेना, एमबी चिकित्सा से डॉ. रमेश जोशी, यूआईटी से अधीक्षण अभियंता मुकेश जानी सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी एवं आयोजक टीम सहर के संस्थापक संजीव भार्गव सहित पेकर हक, दीपक जोशी आदि मौजूद थे।
150 से अधिक नामचीन कलाकार बिखेरेंगे जलवा
श्री भार्गव ने बताया कि फेस्टिवल का यह चौथा संस्करण दुनियाभर के 150 से अधिक नामचीन कलाकारों की मौजूदगी का गवाह बनेगा। इसमें स्पेन, इटली, फ्रांस, क्यूबा, ब्राजील, भारत सहित 20 से अधिक देशों के कलाकार हिस्सा लेंगे। हर साल 50,000 से ज्यादा लोगों की आमद के साथ, यह फेस्टिवल देश में प्रदर्शनकारी कला जगत को रूपांतरित कर देने वाला साबित हुआ है।
तीन सत्रों में होंगे आयोजन
फेस्टिवल में बेमिसाल जीवंत प्रदर्शन होते हैं और यह सर्वश्रेष्ठ ढंग से सांस्कृतिक विविधता का जश्न मनाता है। तीन सुरम्य आयोजन स्थलों में फैला यह फेस्टिवल संगीत की गहन विविधता में डूब जाने का अवसर प्रदान करता है। इस विविधतापूर्ण संगीत में सुबह के ध्यानपूर्ण राग से लेकर दोपहर में झील के बगल में गूंजने वाली साकार रूमानी संगीत प्रस्तुतियों तक, दिनभर की तमाम मनोदशाएं सम्मिलित होती हैं। सांध्यकालीन मंच जोशीले युवा संगीत से भरपूर होता है, जो सभी आयु वर्ग के लोगों को एक साथ ले आता है। इसके अलावा, महोत्सव में स्थानीय राजस्थानी प्रतिभाएं भी अपनी प्रस्तुतियां देती हैं। यह स्थानीय कलाकारों को एक बेशकीमती मंच और व्यापक पहुंच देता है।
संगीत की विभिन्न शैली व विधाओं को होगा प्रदर्शन
इस साल का महोत्सव विभा सराफ (भारत), अल्बाललुना(पुर्तगाल), ला डेम ब्लैंच (क्यूबा - फ्रांस), नेटिग रिदम ग्रुप (अजरबैजान), एला कैटररेस (कैटेलोनिया, स्पेन) जैसे कई कलाकारों और समूहों के प्रदर्शन का गवाह बनेगा, जो संगीत की विभिन्न शैलियों और विधाओं का प्रदर्शन करके जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर देंगे। कार्यक्रमों में आम जनता के लिए प्रवेश निशुल्क रहेगा। आयोजन के दौरान एयरपोर्ट एवं रेल्वे स्टेशन पर भी लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुति जाएगी तथा इन दोनो स्थलों पर आगंतुकों को इवेंट की जानकारी प्रदान करने के लिए हेल्प डेस्क भी लगाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि कार्यक्रमों में आम जनता के लिए प्रवेश निशुल्क रहेगा। कलाकारों एवं आगन्तुकों का एयरपोर्ट एवं रेल्वे स्टेशन पर लोक कलाकारों द्वारा लोक प्रस्तुतियों के साथ स्वागत किया जाएगा। साथ ही दोनो स्थानों पर कार्यक्रम की जानकारी के लिए हेल्प डेस्क भी लगाई जाएगी।
सहर के विषय में
संजीव भार्गव द्वारा 1994 में स्थापित, सहर का शाब्दिक अर्थ है “पौ फटना“ या “भोर होना“। अपनी स्थापना के बाद से ही सहर चित्रकला, मूर्तिकला, रंगमंच, नृत्य, संगीत, साहित्य और सिनेमा जगत में विचारशील और कल्पनाशील पहलों का पर्याय रहा है। सहर की स्थापना सांस्कृतिक रूप से अभिजात एक छोटे वर्ग के बजाय, भारतीय संस्कृति को बड़ी संख्या में लोगों तक ले जाने के विजन के साथ की गई थी। पिछले 15 वर्षों में, सहर प्रदर्शनकारी और दृश्य कला के क्षेत्र में सबसे ऊंची प्रतिष्ठा रखने वाले संगठनों में शुमार हो चुका है - प्रदर्शनों की विविधता के साथ ही उस असाधारण ढंग के लिए जिसमें हर किसी को ध्यान में रखा गया है। इसके आयोजनों की कई बार ऐतिहासिक, अभिनव और एकदम अलहदा कहकर तारीफ की गई है।
इनमें प्राचीन स्मारकों के साथ-साथ सार्वजनिक स्थलों पर जीवंत (लाइव) प्रदर्शन शामिल हैं। इनमें से कई तो भारत में पहली बार हुए और उन्होंने हजारों लोगों को आकर्षित किया है। इनके अलावा, सहर की कुछ प्रमुख पहलों में लंदन में ट्राफलगर स्क्वायर और रीजेंट स्ट्रीट पर इंडिया नाउ अभियान, अनन्या- शास्त्रीय नृत्य महोत्सव, भक्ति उत्सव, दिल्ली जैज फेस्टिवल, साउथ एशियन बैंड्स फेस्टिवल, सार्क आर्टिस्ट कैंप और उदयपुर विश्व संगीत महोत्सव सम्मिलित हैं।
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