सुखाड़िया विश्वविद्यालय को विश्वस्तरीय बनाने के संबंध में कुलपति के अध्यक्षता में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित

सुखाड़िया विश्वविद्यालय को विश्वस्तरीय बनाने के संबंध में कुलपति के अध्यक्षता में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित

उदयपुर। देश की उच्च एवं तकनिकी शिक्षा के नक्शे पर जल्द ही सुखाड़िया विश्वविद्यालय एक नया कदम रखने जा रहा है, राज्य विश्वविद्यालय की छवि से बाहर आकर अब सुखाड़िया विश्वविद्यालय विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय के स्तम्भ के रूप में पहचान स्थापित करेगा। तक्षशिला नालंदा जैसी शिक्षा संस्कृति एक बार पुनर्जीवित होने की और अग्रसर है।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर अमेरिका ने कहा कि विश्वविद्यालय को विश्वस्तरीय बनाने के लिए सभी लोगों को मिलकर एकजुटता के साथ सक्रिय योगदान देना होगा। प्रोफ़ेसर सिंह शुक्रवार को विभागाध्यक्षों की बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि रूसा 2.0 में हमने बेहतरीन काम किया है लेकिन अब रूसा 3.0 की तैयारी का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटी और इंस्ट्रक्शनल फैसिलिटी दोनों की ही दिशा में विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाना है। मल्टी फैकल्टी वर्ल्ड क्लास विश्वविद्यालय बनाने के लिए करीब 500 करोड़ की लागत आएगी, जिसमें रूसा की मदद ली जा सकती है। उन्होंने जापान और संयुक्त अरब अमीरात की तरह स्किल डेवलपमेंट इनोवेशन एवं इनक्यूबेशन सेंटर बनाने तथा सेंटर फॉर एक्सीलेंस को विकसित करने की दिशा में प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। प्रोफ़ेसर सिंह ने कहा कि डिजिटल क्लासरूम बनाने के लिए प्रधानमंत्री ई- विद्या योजना के तहत काम किया जा सकता है। उन्होंने डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर को गति देने एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय परिवेश को बदलने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च के क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं साथ ही दस विद्यार्थियों पर एक शिक्षक को मेंटर के तौर पर तैयार करने की बात कही।
500 करोड़ की संभावित लागत से विश्व स्तरीय मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का प्रस्तावित रोड़ मैप-2021
सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अमेरिका सिंह ने विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय की परिकल्पना पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए बताया कि गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा के माध्यम से ज्ञान की गतिशीलता, राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु बहुत महत्त्वपूर्ण है। उच्चतर शिक्षा में गुणवत्ता और मानकों का निर्धारण एक चुनौती रही है। अब भारत में विश्वविद्यालय और नीति निर्माता अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग पर ध्यान दे रहे हैं। हमें भी अपने विश्वविद्यालयों को नवाचार, आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और उद्यमिता के लिए उत्प्रेरक बनाने की आवश्यकता है। सुखाड़िया विश्विद्यालय भारत में विश्ववस्तसरीय, भविष्योएन्मु खी शिक्षा उपलब्धु करायेगी। हमारा उद्देश्य बहुमुखी रूप से कुशल ऐसे नेतृत्व कर्ता तैयार करना है जो विचारशील व नवोन्मेिषी होने के साथ-साथ नैतिक आचरण वाले व समानुभूतिशील हों। देश में उच्च शिक्षा दिये जाने के तरीके में सार्थक बदलाव लाने हेतु हम विभिन्न माध्यमो के समन्वित अध्यभयन के जरिए उत्कृउष्ट् अंतर्विषयक शिक्षा प्रदान करेंगे।विश्वविद्यालय का उद्देश्य वर्तमान चुनौतियों और भविष्य की उद्योग की जरूरतों के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए आवश्यक उद्योग-अकादमी सहयोग के माध्यम से हमारे देश के भावी कार्यबल के लिए शिक्षित वातावरण में क्रांति लाना है।विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय संकाय की विशेषज्ञता को एक साथ लाएगा और शीर्ष शैक्षणिक भागीदारों के साथ नवाचार और अनुसंधान केंद्रों तक पहुंच प्रदान करेगा। हम इंजीनियरिंग, कानून, प्रबंधन, शिक्षा, मीडिया और लिबरल आर्ट्स, डिजाइन और अन्य से संबंधित अध्ययनों तक पहुंच प्रदान करते हुए छात्रों के लिए एक समग्र शिक्षण मंच बनने की योजना बना रहे हैं।इससे छात्रों को नए युग की दक्षताओं को विकसित करने और उद्यमशीलता की सोच को विकसित करने में मदद मिलेगी ताकि वे समाज के सामने आने वाली जटिल चुनौतियों को हल कर सकें।
वैश्विक परिदृश्य के समक्ष सुविवि का सशक्त दृष्टिकोण
शिक्षा का परिदृश्य लगातार विकसित होने के साथ, शिक्षा के लिए एक गतिशील और सशक्त दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो व्यवसाय से परे हो और विश्व स्तर पर उद्योग की तकनीकी मांगों के साथ सम्मिीलित हो। इसके अनुरूप, सुविवि एक समग्र शैक्षिक और सीखने का अनुभव प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा जिसमें विश्लेषणात्मक और नेतृत्व वाली सोच, मात्रात्मक और रचनात्मक समस्या को सुलझाने के कौशल और नवाचार और उद्यमशीलता के लिए स्थान होगा। यह देश में उच्च शिक्षा के स्तर सुधारने की परिकल्पना को ओर सशक्त करेगा। विश्व के कई देशो में इस प्रकार से विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयो का सृजन हुआ है और अब देश में भी ऐसा ही हो रहा है। विश्वस्तरीय होने से ना केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि इससे संपूर्ण शिक्षा क्षेत्र प्रतियोगिता के लिए प्रेरित होगा ।
प्राचीन शिक्षा संस्कृति का होगा पुनः प्रादुर्भाव जिसने विश्व स्तर पर बनाई थी विश्वविद्यालयो की अलग पहचानप्रो.सिंह ने कहा कि सुविवि की ख्याति उच्च शिक्षा के प्राचीन संस्थानों नालंदा और तक्षशिला के समान ही होगी ताकि दुनिया के विभिन्न हिस्सों के छात्र उच्च शिक्षा के लिए भारत के उदयपुर शहर को प्राथमिकता दें। इसमें आने वाली चुनौतियों को हल करने की दिशा में भी है काम करना होगा।गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा ज्ञान की गतिशीलता,राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु बहुत महत्त्वपूर्ण है। नवप्रवर्तक और भविष्योन्मुखी विश्वविद्यालय इसके पीछे की प्रेरक शक्तियां है। भारतीय उच्चतर शिक्षा प्रणाली ने समय के साथ अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धी श्रेष्ठता खो दी है।इसलिए भविष्य के विश्वविद्यालयों को राष्ट्र की वृद्धि और विकास के ऐसे केंद्रीय आधारस्तंभ बनना होगा जो न केवल बुद्धिमत्तापूर्ण लोगों को विकसित करें बल्कि प्रखर बौद्धिकता का भी विकास करें। हमारे विश्वविद्यालयों को सक्रिय शिक्षण और अनुसंधान स्थलों में परिवर्तित करना ही होगा, जो नवप्रवर्तन और नए विचारों के लिए लांच पैड की तरह काम कर सकें। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र की आधारभूत भूमिका को भी रेखांकित करते हुए कहा कि, यदि भारत को उच्चतर वृद्धि दर हासिल करनी है और मानव विकास सूचकांक पर अपनी स्थिति बेहतर बनानी है, तो देश के शिक्षा क्षेत्र को बहुत सावधानी से पोषित करना होगा। हमंू सिंहावलोकन करते हुए हमारे विश्वविद्यालयों के भविष्य पर विचार करना होगा जो हमें राष्ट्र निर्माण हेतु संस्थाओं के विकास में योगदान हेतु सक्षम और सशक्त बनाएगा।"

विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ उच्च शिक्षा में होगा नवसृजन

उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे अवसर सृजित कर सुविवि भावी छात्रों को भारत में विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों में विश्वस्तरीय शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेंगा।भारतीय विश्वविद्यालयों को बौद्धिक दर्जा और प्रतिष्ठा दिलाने के लिए कई अनिवार्य सुधार करने होंगे।इस योजना से भारतीय छात्रो को देश में ही विश्वस्तरीय शिक्षा और अनुसंधान सुविधा प्राप्त हो सकेगी। इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता ही कि विश्वविद्यालयों की दशा-दिशा सुधारने की सख्त जरूरत है। ऐसे में हम निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयो से प्रतिस्पद्र्धा का माहौल बनाने में सफल होंगे।

उच्च शिक्षा जगत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा ने शिक्षा प्रणाली पर नया दृष्टिकोण अपनाने की संभावनों को बल दिया है । विश्वविद्यालय एक ऐसी युवा-पीढ़ी का निर्माण करना चाहता है जो समग्र व्यक्तित्व के विकास के साथ रोजगार-कौशल व चारित्रिक-दृष्टि से विश्वस्तरीय हो। यह शैक्षिक-व्यवस्था का विश्वस्तरीय माहौल का सृजन करेगी । अब समय आ गया है कि राज्य के विश्वविद्यालयों को परम्परागत परंपराओं से बाहर निकलकर विकसित देशों के विश्वविद्यालयों की अग्रणी पंक्ति में शामिल होना होगा यह समय और व्यवस्था की मांग है इसे हम सभी को स्वीकारना होगा।मेरी संकल्पना है कि सुखाड़िया विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपना नाम दर्ज करें इसके लिए हर शिक्षक की सकारात्मक ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा हम लोग रूसा के अगले चरण में विश्वविद्यालय को अधिक से अधिक अनुदान दिलाने के लिए संकल्पित हैं
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