अनाथ बच्चियों को मिला सहारा जिला कलक्टर बनें तारणहार

अनाथ बच्चियों को मिला सहारा जिला कलक्टर बनें तारणहार

झालावाड़ 3 मार्च। झालावाड़ जिले के रायपुर तहसील के ग्राम माथनिया की दो अनाथ बालिकाए पूजा एवं मीनाक्षी बालिकाएं माता-पिता की वर्ष 2017 में सड़क दुर्घटना में देहान्त के पश्चात् बड़े भाई एवं भाभी द्वारा प्रताड़ित की जा रही थी। वे भाई भाभी की प्रताड़ना से दुखी होकर अपने दूर के मामा के यहां रहने लगी परन्तु वहां से भी उन्हें भाई के दवाब के कारण निकलना पड़ा। तंग आकर ये बालिकाएं जिला कलक्टर हरि मोहन मीना द्वारा 26 फरवरी 2021 को की गई जनसुनवाई में अपनी व्यथा लेकर पहुंचीं। बालिकाओं ने जिला कलक्टर के पूछने पर आगे शिक्षा ग्रहण करने की इच्छा जाहिर की। जिला कलक्टर ने बालिकाओं के प्रति पूर्ण संवेदनशीलता एंव मानवीय दृष्टिकोण दिखाते हुए बालिकाओं की शिक्षा एवं पुर्नवास के लिए सामजिक न्याय अधिकारिता विभाग, शिक्षा विभाग एवं पुलिस विभाग के अधिकारियों को अपने कार्यालय में बुलाया। जिला कलक्टर के निर्देश पर तत्काल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी हंसराज मीना ने बालिकाओं की उनके पूर्व के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय माथनिया से स्थानान्तरण प्रमाण पत्र मंगवाकर के कस्तूरबा गांधी बालिका आवसीय विद्यालय असनावर टाइप-4 में 11 वीं कक्षा में प्रवेश दिलवाया। इसक अतिरिक्त बालिकाओं को विद्यालय की गणवेश एवं दैनिक उपयोग में आने वाली पोशाक, पुस्तकें एवं स्टेशनरी की व्यवस्था भी करवाई। जिला कलक्टर ने उपखण्ड़ अधिकारी असनावर को बालिकाओं का संरक्षक नियुक्त किया है। जिला कलक्टर ने बताया कि बालिकाएं अगर आगे भी पढ़ना चाहेंगी तो उसकी भी व्यवस्था भी की जाएगी। जिला प्रशासन द्वारा भविष्य में भी असहाय, गरीब एवं अनाथ बच्चों के मामलों में पूर्ण संवेदनशीलता दिखाते हुए उनके पुर्नवास की समुचित व्यवस्था करवाई जाएगी।
अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी हंसराज मीना ने बताया कि जिला कलक्टर के निर्देश पर बालिकाओं की आवासीय विद्यालयों में प्रवेश, गणवेश, पाठ्य पुस्तकों, स्टेशनरी, इत्यादि की समुचित व्यवस्थाएं कर दी गई है।
वर्तमान में दोनों बालिकाएं पूजा एवं मीनाक्षी अन्य बालिकाओं के साथ आवासीय विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। दोनों बालिकाओ ने जिला कलक्टर को पिता तुल्य बताते हुए उनके शिक्षा एवं पुर्नवास की व्यवस्थाओं के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। बालिकाएं विद्यालय में आकर अपने आप को सुरक्षित एवं प्रसन्नचित महसूस कर रही हैं। बालिकाओं को माता-पिता की मृत्यु के पश्चात् जो भविष्य अंधकार में लग रहा था, अब उन्हें विद्यालय में आकर प्रकाश की नई किरण नजर आने लगी हैं। पूजा को नर्स वहीं मीनाक्षी को पुलिस विभाग में अफसर बनने का सपना साकार होता दिख रहा है।
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