रात्रि 10 से प्रातः 6 बजे तक, प्रतिबन्धित क्षेत्रों पर पटाखे-आतिशबाजी चलाने पर होगी कार्यवाही - जिला कलक्टर

रात्रि 10 से प्रातः 6 बजे तक, प्रतिबन्धित क्षेत्रों पर पटाखे-आतिशबाजी चलाने पर होगी कार्यवाही - जिला कलक्टर

जयपुर, 15 अक्टूबर । जिला कलक्टर श्री जगरूप सिंह यादव ने आदेश जारी कर निर्देश दिए हैं कि जिले में रात्रि 10 बजे से प्रातः 6 बजे तक पटाखों का उपयोग नहीं किया जाए। प्रतिबंधित समय एवं शांत परिक्षेत्र स्थलों पर पटाखों का उपयोग वर्जित है। इसके अतिरिक्त अन्य स्थलों पर विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक अवसरों पर सामूहिक रूप से सार्वजनिक स्थानों पर अत्यधिक प्रदूषक एवं ध्वनि विस्तारक आतिशबाजी के लिए संबंधित स्थानीय निकाय की अनापत्ति एवं संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट अथवा पुलिस उपायुक्त की पूर्वानुमति जरूरी होगी। यदि कोई आयोजक या व्यक्ति बगैर अनुमति के इस आदेश का उल्लंघन करता पाया गया तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी ।
आदेशानुसार पटाखे एवं आतिशबाजी से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 18 जुलाई 2015 को पारित निर्णय में पटाखों द्वारा तथा अन्य माध्यमों से उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण के नियंत्रण के संबंध में विस्तृत दिशा - निर्देश प्रदान किये गए है । इनके अनुसार रात्रि 10 बजे से प्रातः 6 बजे तक ध्वनि उत्पन्न करने वाले पटाखों का उपयोग प्रतिबंधित है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा भी 11 जनवरी 2010 को अधिसूचना कर ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) (संशोधन नियम 2010 के नियम 5 क (2) में ध्वनि उत्सर्जित करने वाले पटाखें शांत परिक्षेत्र या रात्रि समय में नही चलाने का प्रावधान है ।
श्री यादव ने बताया कि प्रायः यह देखने में आता है कि विभिन्न त्यौहारों पर व अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक समारोह आदि के अवसर पर भारी मात्रा में अत्यधिक प्रदूषण कारक एवं ध्वनियुक्त आतिशबाजी, पटाखे चलाये जाते हैं । इससे न केवल ध्वनि प्रदूषण होता है बल्कि वायु प्रदूषण की अत्यधिक मात्रा मे बढ़ जाता है। आतिशबाजी के कारण मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों के स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव तथा साथ ही बीमार व अस्थमा पीड़ित व्यक्तियों को अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है। विद्यार्थियों एवं प्रतियोगी परीक्षार्थियों को पढ़ाई भी इस कारण कुप्रभावित होती है।
जिला कलक्टर श्री यादव ने सभी नागरिकों से निवेदन किया है कि निर्धारित प्रावधानों को देखते हुए ध्वनि एवं वायु प्रदूषण फैलानेव वाले पटाखों एवं आतिशबाजी का विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक अवसरों पर प्रयोग करने से बचें एवं अत्यधिक आवश्यकता होने पर उत्तरदायित्वपूर्ण न्यूनतम ग्रीन पटाखों का ही आतिशबाजी के लिए उपयोग करें ।
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