भ्रूण हत्या की विकृत मानसिकता में बदलाव के लिए जन-जागृति आवश्यक - चिकित्सा मंत्री

भ्रूण हत्या की विकृत मानसिकता में बदलाव के लिए जन-जागृति आवश्यक - चिकित्सा मंत्री

जयपुर, 16 सितम्बर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि बिगड़ता लिंगानुपात देशव्यापी समस्या है। गर्भ में सोनोग्राफी के माध्यम से बेटी का पता लगाकर उसकी हत्या करने की विकृत मानसकिता को जड़ से मिटाने के लिये पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के साथ ही आमजन सोच को बदलने के लिये जन-जागृति बेहद आवश्यक है।

डॉ. शर्मा सोमवार को पड़ौसी राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करते हुये पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन विषय पर यहां स्थानीय होटल रॉयल आर्चिड में आयोजित इंटरस्टेट कार्यशाला को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। इस कार्यशाला में गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश राज्यों के पीसीपीएनडीटी प्रभारियों के साथ संयुक्त निदेशक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं पीसीपीएनडीटी समन्वयकों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर चिकित्सा मंत्री एवं चिकित्सा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने पीसीपीएनडीटी ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन के लोगो का भी विमोचन किया।

डॉ. शर्मा ने कहा कि लड़कियों के अनुपात में आ रही कमी का मुख्य कारण समाज की लड़कियों के प्रति संकीर्ण मानसिकता है। उन्होंने चिंता व्यक्त कि आज सोनोग्राफी मशीन से भ्रूण के लिंग का पता करवाकर कन्या भ्रूण की गर्भ में हत्या करने का जघन्य पाप किया जाता है। इसके गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं। समाज में बेटियों को जन्म लेने के रोकने की मानसिकता के कारणों पर विस्तार से चर्चा कर उन्हें दूर करना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भ्रूण लिंग परीक्षण को रोकने के लिये पीसीपीएनडीटी एक्ट की प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। पीसीपीएनडीटी टीम द्वारा अब तक 45 इंटरस्टेट सहित कुल 154 डिकॉय ऑपरेशन किये जा चुके हैं। उन्होंने पड़ौसी राज्यों के प्रतिनिधियों से भ्रूण लिंग परीक्षण को रोकने के लिये सामूहिक रूप से प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया।

चिकित्सा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने अपने सम्बोधन में समाज में जागरुकता के साथ ही महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने पर बल दिया। उन्होंने बताया कि राजस्थान में पीसीपीएनडीटी अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर सरकार द्वारा प्रभावी कार्यवाही की जा रही है। पीसीपीएनडीटी अधिनियम, 1994 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये राज्य सरकार द्वारा राज्य के सम्पूर्ण क्षेत्र के लिए बहुसदस्यीय समुचित प्राधिकारी नियुक्त किये गये है। उन्होंने पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रभावी पालने के लिये जिलों में एक एक्सक्लूजिव अधिकारी भी नियुक्त करने की आवश्यकता प्रतिपादित की।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री रोहित कुमार सिंह ने कहा कि घटता लिंगानुपात किसी एक राज्य का न होकर राष्ट्रीय मुद्दा है। उन्होंने बताया कि बाल स्वास्थ्य, किशोरी स्वास्थ्य, मातृ स्वास्थ्य सेवाओं के बड़े विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं लेकिन जब एक तरफ कन्या भ्रूर्ण की गर्भावस्था में ही हत्या कर दी जाती है तो सभी कार्यक्रम बेमानी साबित होने लगते हैं। उन्होंने भ्रूण लिंग परीक्षण की रोकथाम हेतु सभी को मिलजुल कर आमजन की भागीदारी के साथ जनजागरुकता विकसित करने के साथ ही पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही करने की अपील की।

अतिरिक्त मिशन निदेशक श्री शंकर लाल कुमावत ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।

चार सत्रों में आयोजित हुयी कार्यशाला

कार्यशाला में दूसरे सत्र में अतिरिक्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश श्रीमती मीना अवस्थी ने पीसीपीएनडीटी एक्ट एवं इंटरस्टेट डिकॉय आपरेशन के कानूनी पहलू पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्रीगंगानगर जिला कलक्टर श्री शिव प्रसाद ने अपने जिले में बेटी बचाओ को लेकर किये जा रहे बेस्ट प्रेक्टिसेज पर जानकारी दी। तृतीय सत्र में मध्यप्रदेश की राज्य सलाहकार श्रीमती स्वाति सिंह, पंजाब के डॉ. मुकेश सौंधी एवं उत्तरप्रदेश के डॉ. वीरेन्द्र भारती ने उनके राज्य में पीसीपीएनडीटी एक्ट के संबंध में की जा रही कार्यवाही एवं इंटरस्टेट डिकॉय आपरेशन से संबंधित अनुभवों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

चतुर्थ सत्र में निदेशक जन-स्वास्थ्य डॉ. वीके माथुर ने सत्र की अध्यक्षता की। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पीसीपीएनडीटी एवं परियोजना निदेशक श्रीमती शालिनी सक्सेना ने राजस्थान में पीसीपीएनडीटी एक्ट की पालना एवं बेटियां अनमोल हैं जागरुकता कार्यक्रम एवं इंटरस्टेट डिकाय आपरेशन के अनुभवों पर प्रजेंटेशन के माध्यम से विस्तार से चर्चा की।
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