बच्चा मिट्टी खाता है तो समझो पेट में कीडे हैं, अभियान की लांचिंग आज

बच्चा मिट्टी खाता है तो समझो पेट में कीडे हैं, अभियान की लांचिंग आज

दौसा, 6 अगस्त। आपका बच्चा यदि मिट्टी खाता हो, या फिर खाना खाने में रूचि नहीं लेता हो तो समझ लो कि उसके पेट में कीडे हैं। इसलिए बच्चों के पेट के इन कीडों का खात्मा जरूरी है। ऎसी ही कई उपयोगी जानकारी यहां राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान दी गई। दौसा ब्लॉक की ओर से आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में ब्लॉक की एएनएम, एलएचवी, मेडिकल ऑफिसर्स, सीडीपीओ, आशाएं और आंगनबाडी कार्यकर्ता मौजूद थी।
इस दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ ओपी बैरवा ने बताया कि पेट में कीडे होने के कारण बच्चा जीवनभर खून की कमी से परेशान रहता है। उसे भूख नहीं लगती और वह मिट्टी भी खाने लगता है। इसलिए बच्चों को कीडों से मुक्ति बहुत जरूरी है ताकि उनका विकास हो सके और वे खून की कमी से मुक्त हो सकें।
कार्यक्रम के नोडल प्रभारी डॉ. सुभाश बिलोनिया ने बताया कि पेट के इन कीडों को मारने के लिए ही स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस जिले में 8 अगस्त को मनाया जाएगा। इसकी लांचिंग 7 अगस्त को महात्मागांधी राजकीय उमावि रेलवे स्टेशन, दौसा में सायं 4 बजे से की जाएगी। अगले दिन 8 अगस्त को दौरान जिले के प्रत्येक सरकारी गैर सरकारी स्कूलों, मदरसों, आंगनबाडी केन्द्रों आदि सभी स्थानों पर एलबेंडाजौल की टेबलेट खिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि यदि बच्चा दो साल से कम का है तो उसे आधी और दो साल से 19 साल तक है तो उसे पूरी गोली दी जानी है। यानि यह दवा एक साल से 19 साल तक के बच्चों को दी जानी है।
ब्लॉक सीएमएचओ डॉ. सीताराम मीणा ने भी अभियान के क्लीनिकल विषय पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्कूलों में पहले स्टाफ को दवा खिलाएं ताकि बच्चों को यह विश्वास हो सके कि गोली से कोई नुकसान नहीं है। उन्होंने बताया कि एलबेंडाजोल की गोली खिलाने के तुरंत बाद ही रिकॉर्ड संधारण करें ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन बच्चा वंचित रह गया है । ऎसा करने से 19 अगस्त को मॉप अप के तहत वंचित बच्चों को एल्बेंडाजोल की गोली दी जाएगी । उन्होंने बताया कि दौसा जिले में 6 लाख से अधिक बच्चों को यह दवा दी जानी है। दवा सभी केन्द्रों पर पहुंचा दी गई है ।
सफेद रंग का कीडा मिट्टी से शरीर में प्रवेश करता है
प्रशिाक्षण कार्यक्रम में बीसीएमओ दौसा डॉ. सीताराम मीणा ने बताया कि जो बच्चे मिट्टी में अधिक खेलते हैं उनके पेट में कृमि या वर्म मिलने की संभावना अधिक होती है। ऎसा ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक हो सकता है। इसलिए बच्चों को खाने से पहले और शौंच के बाद साबुन से हाथ धोने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
एमआर की प्रगति पर नजर
कार्यक्रम में मौजूद एएनएम को सीएमएचओ डॉ .ओपी बैरवा ने मीजल्स-रूबेला अभियान की प्रगति के बारे में भी जरूरी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि फील्ड में टीके लगने का काम सही हो रहा है लेकिन तय फोर्मेट में बिना रिर्पोटिंग के उपलब्धि शून्य मानी जाती है। इसलिए फील्ड वर्क को और पुख्ता करने के लिए रिपोर्टिंग भी साथ की साथ जरूरी है ताकि काम को पहचान मिल सके। उन्होंने कहा कि सभी फील्ड कार्यकर्ता अपने काम को अच्छे से अंजाम दे रहे हैं यह अच्छी बात है, लेकिन गांवों में बॉडर एरिया के स्कूलों पर विशेष नजर रखें ताकि एक भी बच्चा नहीं छूटे।
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