दुग्ध उत्पादकों के लिए वरदान अजोला

दुग्ध उत्पादकों के लिए वरदान अजोला

भीलवाडा, 22 नवम्बर/ दुधारु पशुओं में दुध उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए, पशुओं को हरा चारा खिलाना अतिआवश्यक होता है। साल में कम से कम दो तिहाई समय में हरे चारे की कमी रहती है। ऐसे में किसान अपने दुधारु पशुओं को वर्ष भर हरा चारा खिला नहीं पाता। परिणाम स्वरुप आज हमारे यहां प्रति पशु प्रतिदिन का दुध उत्पादन 2 लीटर या इससे भी कम है। इस स्थिति को देखते हुए कृषि क्षेत्र में हरे चारे का प्रमुख विकल्प अजोला है।
उप निदेशक कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक (आत्मा) डॉ. जी.एल. चावला ने बताया कि अजोला को एक हरे सोने की खान के रुप में भी जाना जाता है। अजोला पशु पालन के लिए सर्वगुण सम्पूर्ण पौष्टिक आहार है। अजोला जल के उपर मुख्य रुप से तैरने वाली एक फर्न या पौध है। जिसका रंग बिल्कुल हरा होता है। ये छोटे समूह में पानी के उपर तैरती है। दुधारु पशुओं को प्रतिदिन आहार के साथ 2 से ढाई किलो अजोला खिलाने से दूध उत्पादन में बढ़ोतरी संभव है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार एक किलो अजोला की गुणवत्ता एक किलो खल के बराबर होती है।
उन्होंने बताया कि अजोला पशुओं में बांझपन निवारण में भी उपयोगी है। पशु के पेशाब में खून की समस्या फास्फोरस की कमी से होती है। ऐसे पशुओं को यदि अजोला खिलाया जाए तो यह कमी भी दूर हो जाती है ।
जिले में वर्ष 2018-19 में कृषि विभाग आत्मा द्वारा 24 कृषकों के यहां अनुदान पर अजोला के बेड लगाये गये थे। सभी कृषकों द्वारा अजोला उत्पादन कर अजोला अपने दुधारु पशुओं को खिलाया जा रहा है एवं दुध उत्पादन में बढोतरी के साथ कृषकों ने अपनी आमदनी में वृद्धि की है । अजोला शुष्क भार के आधार पर करीब 20 से 30 प्रतिशत प्रोटीन, 10 से 15 प्रतिशत खनिज तत्व एवं 7 से 10 प्रतिशत अमिनो एसीड पाये जाने में स्थानीय पशु आहार के विकल्प के रुप में भी अजोला को उपयोग में लिया जाकर दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
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