जल शक्ति अभियान के तहत् विशाल किसान मेले का आयोजन

जल शक्ति अभियान के तहत् विशाल किसान मेले का आयोजन

भीलवाड़ा 3 सितम्बर/ कृषि विज्ञान केन्द्र, भीलवाड़ा द्वारा जल शक्ति अभियान के तहत माण्ड़लगढ़ पंचायत समिति की गेणोली ग्राम पंचायत के मीणों की धाकड़खेड़ी गाँव में विशाल किसान मेले का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं माण्ड़लगढ़ विधानसभा क्षेत्रा के पूर्व विधायक प्रदीप कुमार सिंह ने काश्तकारों का आह्वान किया कि नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकी को अपनाकर कम पानी से अधिकतम उत्पादन लें। पानी का दुरूपयोग नही करें अन्यथा आने वाली पीढ़ी को जल संकट का सामना करना पड़ेगा उसके लिए आने वाली पीढ़ी हमें माफ नही करेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पंचायत समिति माण्ड़लगढ़ की प्रधान घनश्याम कँवर ने जल के महत्त्व पर चर्चा करते हुए सिंचाई की नवीनतम विधि जिससे कि कम पानी में अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके, को अपनाने पर जोर दिया।
किसान मेले में विशेषाधिकारी डॉ. शिवदयाल धाकड़ ने कृषकों को वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन करके एवं इसे लाभकारी व्यवसाय बनाने पर बल दिया।
किसान मेले में कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. ओम प्रकाश पारीक ने भविष्य में आने वाले जल संकट पर चिन्ता करते हुए किसानों को आह्वान किया कि सामूहिक जनभागिता से जन आन्दोलन करके जल का संचयन किया जावें। जल के दुरूपयोग, अतिदोहन एवं अधिक जल मांग वाली फसलों के उत्पादन से जमीन का जल स्तर निरन्तर घटता जा रहा है एवं यह चिन्ता का विषय है। डॉ. पारीक ने देश के 21 शहरों के,’डे जीरो’ की स्थिति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए काश्तकारों को अवगत कराया कि जल शक्ति अभियान केवल सरकार के द्वारा चलाया जाने वाला कार्यक्रम नही है अपितु इसे जन आन्दोलन की तरह अपनाना होगा तभी इसकी सफलता सुनिश्चित होगी।
उन्होंने देश के 420 से 4000 बिलियन क्यूबिक मीटर वर्षा जल से मात्रा आठ प्रतिशत ही वर्षा जल संचय होने पर भी चिन्ता व्यक्त की। देश में पिछले 10 वर्षों में 30 प्रतिशत तक नदियाँ सूख गई, 70 वर्षों में 20 लाख कुएँ, पोखर, झीलें सूख गई एवं 54 प्रतिशत क्षेत्रों में भू-जल स्तर से घट रहा है। वर्ष 2030 तक 40 प्रतिशत लोगों को पीने का पानी भी नही मिलेगा। उन्होंने चैन्नेई शहर की विकट परिस्थिति पर चर्चा करते हुए अवगत कराया कि पहले जहाँ 200 फीट के ऊपर जल उपलब्ध था आज वहाँ पर 2000 फीट के ऊपर भी जल की उपलब्धता नही है।
शस्य वैज्ञानिक डॉ. खेमचन्द्र नागर ने किसानों को अल्प अवधि, कम जल मांग वाली, सूखा प्रतिरोधी किस्मों के चयन के अतिरिक्त समुचित फसल चक्र, सिंचाई की उन्नत विधियाँ, फसलों की क्रान्तिक अवस्था पर सिंचाई, फसलों की जल मांग के आधार पर सिंचाई करने की आवश्यकता प्रतिपादित की।
पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. चैथ मल यादव ने कृषि के साथ ही वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन, अजोला उत्पादन एवं नेपियर घास पर चर्चा की। मेले मे कृशि विज्ञान केन्द्र, भीलवाड़ा डेयरी एवं जल ग्रहण क्षेत्रा विकास विभाग की जल शक्ति अभियान से सम्बन्धित विभागीय गतिविधियों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
किसान मेले में हाफ गिलास वाटर केम्पेन का बताया महत्वः
किसान मेले में जिला कलक्टर राजेन्द्र भट्ट द्वारा प्रारंभ किये गये हाफ गिलास वाटर केम्पेन का महत्व बताते हुए किसानों को घर आने वाले मेहमानों की खारितदारी आधे गिलास पानी से करने एवं जल संचय के महत्व को बताया गया। किसानों को बूंद-बूंद पानी की बचत के लिए पे्ररित करते हुए हाफ गिलास वाटर केम्पेन को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान भी किया गया।
किसान मेले में खण्ड़ स्तरीय कृषि विभाग के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों सहित लगभग 619 कृषक एवं कृषक महिलाओं की सहभागिता रही। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन केन्द्र के कार्यक्रम सहायक महेन्द्र सिंह चुण्ड़ावत ने किया।
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