फसलों के अवशेष ना जलाये - कलक्टर

फसलों के अवशेष ना जलाये - कलक्टर

बारां, 9 नवम्बर। जिला कलक्टर इन्द्र सिंह राव ने कहा कि जिले में किसानों को फसलों के अवशेष अथवा पराली नहीं जलाने के संबंध में जागरूक करने की आवष्यकता है जिससे फसलों के अवशेष से भूसा बनाकर उपयोग किया जा सकता है।
कलक्टर राव मिनी सचिवालय सभागार में किसानों को पराली जलाने से रोकने एवं जागरूक करने के संबंध में कृषि विभाग द्वारा आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि फसलों के कटाई के उपरान्त कृषकों द्वारा खेत में शेष रहे कृषि अवशिष्टों को जलाने से क्षेत्र में आगजनी की घटनाऐं घटित हो जाती हैं। उल्लेखनीय है कि राजस्थान राज्य प्रदुषण नियंत्रण मण्डल के अनुसार यदि किसानों द्वारा कृषि अवशिष्ठ जलाये जाते है तो 2 एकड से कम भूमी वाले किसानो पर प्रति घटना 2500 रू, 2 एकड से 5 एकड वाले किसानो पर प्रति घटना 5000 रू एवं 5 एकड से अधिक भूमी होने पर प्रति धटना 15000 रू. का जुर्माना लगाया जा सकता है एवं प्रदुषण नियंत्रण एवं रोकथाम अधिनियम 1981 की धारा 19 (5) के तहत् कृृषि अवषिष्ठ जलाने पर कानूनी कार्यवाही का प्रावधान है।
ये हो सकते हैं दुष्परिणाम -
बैठक में उपनिदेशक कृषि अतीश कुमार ने पीपीटी प्रजेन्टेशन द्वारा बताया कि कार्बनिक पदार्थ/जीवांष पदार्थ मृदा संसाधन का एक महत्वपूर्ण घटक हे परन्तु फसल अवशेषों को जलाने से यह अमुल्य पदार्थ नष्ट हो जाता है जिसके कारण मृदा उर्वरता व उत्पादकता कम हो जाती है। फसल अवशेषों को जलाने से मृदा का तापमान बढ जाता है जिससे मृदा मे उपस्थित सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते है जो कि मृदा जैव विविधता के लिये गम्भीर चुनौती है। फसल अवशेष जलाने पर भारी मात्रा में हानिकारक गैसे मिथेन, कार्बनडाई ऑक्साईड, सल्फरडाई ऑक्साईड आदि गैसे छोड़ी जाती है परिणाम स्वरूप पृथ्वी का तापमान बढता है जिसके परिणाम स्वरूप जलवायु मे विभिन्न परिवर्तन होते है। कृषि अवशेषों को जलाने से निकलने वाली विषैली गेसों से कैंसर, अस्थमा एवं अन्य श्वास सम्बन्धित रोग हो जाते है। कृषि अवशेषों को जलाने से मृदा का तापमान बढने से मृदा मे उपस्थित मित्र कीट व फफून्द नष्ट हो जाते है जिसके परिणम स्वरूप कींटो व फफून्द को नियन्त्रित करने के लिये जहरीले कीटनाशको का उपयोग करना पडता है जिससे मृदा भी प्रदूषित होती है तथा साथ ही उत्पादन लागत भी बढ जाती है।
ये भी कर सकते है किसान-
किसान फसलों के अवशेषों को मिट्टी को पलटने वाले हल से मिट्टी में मिला दे, जिससे कार्बनिक क्षमता बढेगी। किसान फसलों के अवशेषों को स्ट्रा रीपर से भूसा बनाकर अपने पषुओ के लिए भंडारण कर सकते हे। अवषेषों को गोबर की खाद के साथ में मिलाकर वर्मी कंपोस्ट बना सकते है। बगीचे के थांवलो के चारों मे डालकर मल्च का प्रयोग करते हुए पानी की वाष्पीकरण को रोक सकते है। बिजली बनाने वाली बायोमास कम्पनी को इसे बेचा जा सकता है । बैठक में सीईओ जिला परिषद बृजमोहन बैरवा, कृषि विभाग के अधिकारी व कार्मिक आदि मौजूद थे ।
  • Powered by / Sponsored by :